1. काल्ह बिकन दिहिन, कुछ आज बिकन दिहिन,
सरम उनखर मरिगै त लाज बिकन दिहिन।
कोटेदार का दुइ महीना से तनखाह नहीं
मिली,
गरीब मनई के खून निकबर चूस लेथें
सरपंच या साइत सचिव से भुकुरे हें
हमरे जीवन मा कहौं कलेश न होइ जाय
काल्ह दुइ ठे कविता भ्रष्टाचार
मा लिखन है
आज डेर लागत ही कहौं केस न होइ जाय
अहिमक हिबय अलाल, जिउ का ढील बनाबत ही
एमए बीए त कए ही, पै जाय के ऊँच पहाड़न मा
लाली अउर लिपिस्टिक थोपे, रील बनाबत ही
5. बापराम स्वाचत हें कि लड़का स्कूल
जात है
व पइसा डकहाबत है, स्वीमिंग पूल जात है
है खास पोहगर या जानत हें लेकिन
यहै भर काहे का उईं सगले जहान बताबत
हें
नशामुक्ति के कार्यक्रम मा उइन
पचे भर आए हें
जे डार तमाकू मुँहे मा सबका ज्ञान
बताबत हें
- प्रियांशु 'प्रिय'
मोबा- 9981153574