गुरुवार, 15 मई 2025

बेटी की विदाई पर बघेली कव‍िता

 बेटी की विदाई पर बघेली कव‍िता  


अम्मा रोमयं , बहिनी रोमयं, रोमयं सगले भाई‌‌,

बाबौ काहीं खूब रोबाइस, बिटिया केर बिदाई।

बिटिया केही भए मा बाबा, खूब उरांव मनाइन ते,

अपने अपने कइती सबजन, कनिया मा छुपकाइन ते।

चारिउ कइती जंका मंका, खूबय खर्चा कीन्हिंन तै,

यहै खुशी के खातिर बाबा, सबतर नेउता दीन्हिन तै।

कइ दिन्हिंन अब काज हो दादा, होइगै वहौ पराई।

बाबौ काहीं खूब रोबाइस, बिटिया केर बिदाई.......

घर के बहिनी बिटिया आईं, मेंहदी लागय लाग,

सुध कइ कइ के काजे केहीं, ऑंसू आमय लाग। 

आस पड़ोस के सबै मेहेरिया, घर मा आमय लागीं,

सबजन साथै बइठिके देखी, अंजुरी गामय लागीं।

रहि रहि ऑंसू बहय आज हम, कइसन केर छिपाई,

बाबा काहीं खूब रोबाइस, बिटिया केर बिदाई.......

फूफू काकी मउसी बहिनी, ऑंसू खूब बहामय,

बाबा रोमय सिसक सिसक के, बेटी का छुपकामय।

बिदा के दरकी बिटिया काहीं , अम्मा गले लगाए,

रोए न लाला बोलि बोलिके, ऑंसू रहै बहाए।

सीढ़ी‌ के कोनमा मा बइठे, रोमय सगले भाई,

बाबा काहीं खूब रोबाइस, बिटिया केर बिदाई....... - कवि प्रि‍यांशु 'प्र‍िय' मो. 9981153574

ऑपरेशन सिंदूर

ऑपरेशन सिंदूर
भारत बदला लइ लीन्‍हि‍स अ, हउकिस खासा तान के, 
निकहा अइसी तइसी होइगै, घिनहे पाकिस्‍तान के।
घर दुआर सब निपुर गें खासा,  होइगै ही बरबादी।
आधी रात के हमला माहीं, जब मरे हें आतंकवादी।  
पहलगाम मा तै मारे तै, चीन्‍ह चीन्‍ह जब मनई।
होत ही कइसा पीरा सारे, या तोखा अब जनई।
दुलहिन के स‍िंदूर उजारे, महतारि‍न केर लोलार।
बह‍िनिन के भाई का मारे, बेटबन केहीं प्‍यार।
मनई नहीं सनीचर आहे, बिन लात खाए न मनते है। 
भारत के ताकत तै खासा, निकहे सेहीं जनते है।
जब पिठांय सुहुराय तोर तब, भारत कइ नि‍हारे।
कचर गए तै कइयक दरकी, सुध कइ लीन्‍हें सारे।
ऑपरेशन सिंदूर न ब‍ि‍सरी, बिसरी न य बदला।
अइसय जो करतूत रही त,पाक य निपुरी सगला।
काश्‍मीर भारत के है या रोज सकन्‍ने बाँचा कर। 
दोख द‍िहे तै बाद मा पहिले, आपन काँपी जाँचा कर।
भारत के सेना दुश्‍मन काहीं, हेर हेर के मारत ही।
कहौं लुका होय दुनियाँ मा, गोड़े के नीचे गाड़त ही।     
सौ सौ बेर प्रणाम करिथे, हे भारत केर जवान। 
होए से तुम्‍हरे अमर हबय या, आपन हिंदुस्‍तान। -कवि प्रियांशु 'प्र‍िय' मोबा. 9981153574

कविता- जीवन रोज़ बिताते जाओ

       जीवन रोज़ बिताते जाओ                                                                                भूख लगे तो सहना सीखो, सच को झूठा ...