कविता ~
( कोरोना को हराना है...)
हमको खुद भी बचना है और, हिंदुस्तान बचाना है।
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।
इंसाँ की ही गलती है ये, इंसाँ ने ही बुलाया है।
सारी दुनियाँ सोच रही है, कैसा वायरस आया है ?
इसका कोई इलाज़ नहीं है, और न कोई दवाई है।
सोचो कैसे जीते दुनियाँ, कैसी नौबत आई है ?
सबसे पहली बात ये मानों, घर के बाहर मत जाओ।
रखो सफाई आसपास तुम, यही सभी को बतलाओ।
सैनेटाइजर, मास्क जरूरी, रखना अपने साथ।
मुख ढकने की आदत डालो, धो लो दोनों हाथ।
सारी दुनियाँ सोच रही है, कैसा वायरस आया है ?
इसका कोई इलाज़ नहीं है, और न कोई दवाई है।
सोचो कैसे जीते दुनियाँ, कैसी नौबत आई है ?
सबसे पहली बात ये मानों, घर के बाहर मत जाओ।
रखो सफाई आसपास तुम, यही सभी को बतलाओ।
सैनेटाइजर, मास्क जरूरी, रखना अपने साथ।
मुख ढकने की आदत डालो, धो लो दोनों हाथ।
सामाजिक दूरी बहुत जरूरी, इसको भी अपनाना है।
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।
बच्चों और बुजुर्गों का भी रखना बेहद ध्यान,
इनसे ही घर, घर लगता है, ये ही हैं भगवान।
दर्द, बुखार और सूखी खाँसी गर ये सब हो जाए,
तकलीफ रहे जो सीने में और साँस फूलती जाए।
तुरत डाक्टर को दिखवाना, न करना बिल्कुल देरी,
झार फूक के चक्कर में, हो जाए न हेरा-फेरी।
गरीब और असहायों की भी रक्षा बहुत जरूरी है,
उसके पहले याद रखो, सुरक्षा बहुत जरूरी है।
इनसे ही घर, घर लगता है, ये ही हैं भगवान।
दर्द, बुखार और सूखी खाँसी गर ये सब हो जाए,
तकलीफ रहे जो सीने में और साँस फूलती जाए।
तुरत डाक्टर को दिखवाना, न करना बिल्कुल देरी,
झार फूक के चक्कर में, हो जाए न हेरा-फेरी।
गरीब और असहायों की भी रक्षा बहुत जरूरी है,
उसके पहले याद रखो, सुरक्षा बहुत जरूरी है।
सकारात्मक रहना सबको, नहीं कभी घबड़ाना है,
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।
©® प्रियांशु "प्रिय"