दादू खड़े चुनाव मा
बिकन रहे हें दारु नेता।
एक बोतल सीसी बहुँकामैं,
बोट खरीदैं चून लगामैं।
चंगु-मंगु बाटैं पर्चा,
नेताजी के खूब ही चर्चा।
चारिउ कइती डीजे बाजय,
उठिके मनई नींद से जागय।
हल्ला-गुल्ला मचा हबय हो,
देखा हमरे गाँव मा...
चीन्हैं नहीं परोसी जिनखा,
ऊँ दादू खड़े चुनाव मा...
पइसा पेलैं मा टंच रहें हें,
दादू पूर्व सरपंच रहे हें।
घर दुअरा आपन बनबाइन,
आने काहीं खूब रोबाइन।
फेरौ अबकी जोड़ैं हाथ,
तेल लगामय आधी रात।
एक दरकी जो देई साथ,
गाँव भरे के होय विकास।
छुअय मा जेखा घिनात रहें,
गिरथें उनखे पाँव मा।।
चीन्हैं नहीं परोसी जिनखा,
ऊईं दादू खड़े चुनाव मा...
✒ प्रियांशु कुशवाहा
सतना ( म.प्र.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें