मित्रता पर दोहे
1. निर्मल मन निश्छल रहे, उत्तम रहे चरित्र,
हो परहित की भावना, वह है सच्चा मित्र।।
2. त्यागशील, निस्वार्थी करता हो सहयोग,
एसे मित्र बनाइए, मिले कहीं संयोग।।
3. कृष्ण सुदामा सा रहे, हरपल अपने साथ,
मित्र हमें देना प्रभु, नित्य निभाऊँ माथ।।
4. कठिन परिस्थिति में सदा, जो देता हो साथ,
ऐसे मित्र बनाइए, सदा मिलाए हाथ।।
✒ प्रियांशु 'प्रिय'
सतना ( म.प्र. )