वीर सैनिकों पर मैं कोई श्रेष्ठ कविता लिख सकूँ ये हिम्मत मेरी कलम में नहीं है परंतु अपने रचनात्मक सहयोग से उन अमर शहीदों को श्रद्धा सुमन तो अर्पित कर ही सकता हूँ। जिनके कारण हम सब चैन की नींद सो पाते हैं। 26 जुलाई 2023 को 24वाँ कारगिल दिवस समारोह विट्स कॉलेज, सतना में मनाया गया। जिसमें कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए साथ ही मैंने भी सैनिकों के सम्मान में अपने शब्द पुष्प अर्पित किए। सुनिए 28 ये कविता...... ❤️
सबके सउहें नीक कही जे, ओहिन के बरबादी है। केसे भला जाय के बोली ? हमरे इहाँ आजादी है।
मजदूरन के चुअय पसीना,तब य भुइयाँ महकत ही, सोन चिरइया बड़े बिहन्ने, सबके दुअरा चहकत ही। रंग बिरंगा फूल का देखा, नद्दी देखा, हरियाली, केतना सुंदर देश हबय य, चारिउ कइती उंजियाली। सीमा माही लगे हमय जे, उनहिंन से है देश महान, हमरे तुम्हरे पेट के खातिर, ठंडी गर्मी सहय किसान। चोर, डकैती छुट्टा बागैं, उनहिंन के आबादी है। केसे भला जाय के बोली ? हमरे इहाँ आजादी है....
गाँधी जी के फोटो काहीं, चारिउ कइती देखित हे, सत्य अहिंसा बिसर गयन है, यहै मनै मन सोचित हे। देश के खातिर चढ़िगें फाँसी,सुन्यन भगत के अमर कहानी, चंद्रशेखर आजाद छाड़िगें,भुइयाँ माहीं अमिट निशानी। कमलादेवी, लक्ष्मीबाई , अउर सरोजिनी, झलकारी, माटी खातिर जान दइ दिहिन, बहिनी,बिटिया,महतारी। चार ठे माला पहिर के भइलो,बाँट दिहिन परसादी है। केसे भला जाय के बोली ? हमरे इहाँ आजादी है...
भाईचारा,साहुत बिरबा,जड़ से उईं निरबार दिहिन, जाति धरम का आँगे कइके, मनइन काहीं मार दिहिन। निबला काहीं मिलै न रोटी, फुटहे घर मा सोबत है, निकहें दिन कइसा के अइहैं, यहै सोच के रोबत है। गाड़ी, मोटर, बंगला वाले, अति गरीबी झेलत हें, सबै योजनन के पइसा का, उईं साइड से पेलत हें। लूट के पइसा भागें निधड़क, उनहिंन के अब चाँदी है। केसे भला जाय के बोली ? हमरे इहाँ आजादी है...
रचनाकार -प्रियांशु कुशवाहा'प्रिय' सतना , ( मध्यप्रदेश )MOB - 9981153574