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रविवार, 25 फ़रवरी 2024

कविता - "आओ सब मिलकर दिवाली मनाएँ"

 कविता ~


 'आओ सब मिलकर दिवाली मनाएँ' 


ईर्ष्या की झोली से तम को मिटाकर,
प्रेम और वैभव की रोशनी जलाकर।
पलकों ने जिसको संजोए थे अब तक,
उन दुखी अश्कों को मन से हटाकर।
इश्क़ की खुशबू को जग भर फैलाएं,
आओ सब मिलकर दिवाली मनाएँ ।

हम सबके मज़हब में ज्ञान का संचार हो,
भाई से भाई तक आकाशभर प्यार हो।
आंखें प्रफुल्लित हो देखकर जिसे वह,
स्नेह की दुकानों का रोशन बाज़ार हो।
मुस्काते शहर में हम शामिल हो जाएं ।
आओ सब मिलकर दिवाली मनाएँ ।

सुमन सा सुगंधित हो हर पल हमारा,
प्रीत का भी चमके घर-घर सितारा।
महल भी रोशन हों हर दिये से लेकिन,
झोपड़ी तक जाए दीप का उँजियारा।
मुहब्बत की कोई फुलझड़ी जलाएं।
आओ सब मिलकर दिवाली मनाएँ।


  © प्रियांशु कुशवाहा 'प्रिय'
         सतना ( म. प्र )
       मो. 9981153574




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