कविता...
भरा इश्क़ का रंग रहे
खुशियाँ फैले जीवन में और, मन में खूब उमंग रहे।
प्रेम,प्यार की पिचकारी में, भरा इश़्क का रंग रहे।
जब जले होलिका याद रहे कि,रोशन हो ये जग सारा।
द्वेष, घृणा सब मिट जाए ,हो न कहीं भी अंधियारा।
मन के भेद मिटाकर आओ,सबको गले लगाएँ।
ये भारत की खुशबू है, हम दुनियाँ को बतलाएँ।
स्नेह मिले हर भाषा में और,अद्भुत अजब प्रसंग रहे।
प्रेम, प्यार की पिचकारी में, भरा इश्क़ का रंग रहे।
हर मज़हब की भाषा ऐसी, अपनापन सिखलाए।
और तिरंगा हृदय में सबके, रंगों से बन जाए।
नभ ने देखो जब खेला रंग, हुआ वही नीला नीला,
फूल और पत्तों ने खेला, हरा-हरा, पीला-पीला।
लगे गुलाल गालों पे जब भी, भीनी भीनी गंध रहे।
प्रेम, प्यार की पिचकारी में, भरा इश्क़ का रंग रहे।