बघेली मुक्तक
रचनाकार - प्रियांशु 'प्रिय'
मोबा. 9981153574
1.
दुइ जन मिलिके एंकई दबाबत हें।
दुइ जन मिलिके ओंकई दबाबत हें।
काल्ह व CM HELPLINE मा शिकायत का किहिस।
आज अधिकारी ओखर नटई दबाबत हें।
2.
चुनाव मा जब निसोच भाषन मिलथै
जनता का हर दरकी आश्वासन मिलथै
रोड, गली नसान रहै त कुच्छ न बोल्या
काहे कि फ्री मा पाँच किलो
राशन मिलथै
3.
साल भरे के कमाई मा छेरिया बेसाह
लाएं
कुच्छ लिहिन उज्जर त कुच्छ करिया
बेसाह लाएं
वहाँ दादा लड़कउना के काजे के तइयारी
करैं
यहाँ परोस के गाँव से दादू मेहेरिया बेसाह लाएं
4.
या आम नहीं एकदम खास देबाबत है
किरिया करथै अउर बिसुआस देबाबत है
बड़ा सस्ता सचिव है एकठे गाँँव के भइया
मात्र बीस हजार लेथै फेर आवास देबाबत है
5.
तुम्हरे भर गोहार मारे से हल्ला नहीं होय
सगली बस्ती से बड़ा मोहल्ला नहीं होय
गरीब मजदूरी कइके आपन पेट भरथै
कोटा मा ओखे खातिर गल्ला नहीं होय
6.
मड़इया बनी ही पै खारिया चुकी ही
भुईं मा बइठित हे बोरिया चुकी ही
यहाँँ गइया निकहे से पल्हात नहीं आय
वहाँँ आगनबाड़ी मा दरिया चुकी ही
7.
कोउ नहीं कहिस कि फरेबी रहे हें
पूरे गाँँव मा बांटत जलेबी रहे हें
बंदी हे जे तीन सौ छिहत्तर के केस मा
एक जन बताइन कि समाजसेवी रहे हें
🖋 प्रियांशु 'प्रिय'