गुरुवार, 18 जुलाई 2024

बघेली हास्‍य मुक्‍तक

      बघेली हास्‍य मुक्‍तक



1. काल्‍ह बिकन दिह‍िन, कुछ आज बिकन दिहिन,

सरम उनखर मरिगै त लाज बिकन दिहिन।

कोटेदार का दुइ महीना से तनखाह नहीं मिली,

ऐहिन से आधी रात उईं अनाज बिकन दिहिन।




2. निबले का डेरबामय का कारतूस लेथें

गरीब मनई के खून निकबर चूस लेथें

सरपंच या साइत सचिव से भुकुरे हें

कहत रहें कि उईं हमसे जादा घूँस लेथें




3. हमार सगली कहानी यहाँ पेश न होइ जाय

हमरे जीवन मा कहौं कलेश न होइ जाय

काल्‍ह दुइ ठे कविता भ्रष्‍टाचार मा लिखन है

आज डेर लागत ही कहौं केस न होइ जाय



4. भात का कहौं जरबत ही, कहौं गील बनाबत ही

अहिमक हिबय अलाल, जिउ का ढील बनाबत ही

एमए बीए त कए ही, पै जाय के ऊँच पहाड़न मा

लाली अउर लिपिस्‍टिक थोपे, रील बनाबत ही

 

5.  बापराम स्‍वाचत हें कि लड़का स्‍कूल जात है

व पइसा डकहाबत है, स्‍वीमिंग पूल जात है

है खास पोहगर या जानत हें लेकिन

एक पउआ पियत है त सब भूल जात है




6. उज्‍जर कुर्ता पहिर के आपन सान बताबत हें

यहै भर काहे का उईं सगले जहान बताबत हें

नशामुक्‍त‍ि के कार्यक्रम मा उइन पचे भर आए हें

जे डार तमाकू मुँहे मा सबका ज्ञान बताबत हें

 
- प्रियांशु 'प्रिय' 
मोबा- 9981153574

  

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