बुधवार, 10 जुलाई 2024

बघेली मुक्‍तक

बघेली मुक्‍तक





 


साल भरे के कमाई मा छेरिया बेसाह लाएं

कुच्‍छ लिहिन उज्‍जर त कुच्‍छ करिया बेसाह लाएं

वहाँ दादा लड़कउना के काजे के तइयारी करैं

यहाँ परोस के गाँव से दादू मेहेर‍िया बेसाह लाएं

चैत्र महीने की कविता

  चइत महीना के बघेली कविता  कोइली बोलै बाग बगइचा,करहे अहिमक आमा। लगी टिकोरी झुल्ला झूलै,पहिरे मउरी जामा। मिट्टू घुसे खोथइला माही,चोच निकारे ...