बघेली मुक्तक
साल भरे के कमाई मा छेरिया बेसाह लाएं
कुच्छ लिहिन उज्जर त कुच्छ करिया बेसाह लाएं
वहाँ दादा लड़कउना के काजे के तइयारी करैं
यहाँ परोस के गाँव से दादू मेहेरिया बेसाह लाएं
बघेली मुक्तक
कुच्छ लिहिन उज्जर त कुच्छ करिया बेसाह लाएं
वहाँ दादा लड़कउना के काजे के तइयारी करैं
यहाँ परोस के गाँव से दादू मेहेरिया बेसाह लाएं
बघेली कविता अपने विंध्य के गांव भाई चारा साहुत बिरबा, अपनापन के भाव। केतने सुंदर केतने निकहे अपने विंध्य के गांव। छाधी खपड़ा माटी के घर,सुं...