फलाने अरझे रहिगें
मिली जीत न हार, फलाने अरझे रहिगें,
जनता लिहिस बिचार, फलाने अरझे रहिगें।
अब होइगा बंटाधार, फलाने अरझे रहिगें।
अतरे दुसरे इनखर उनखर बइठक लागय,
कइसौ बनय सरकार, फलाने अरझे रहिगें।
ईं अपसय मा साल साल भर लपटयं जूझैं,
अब बनय रहें ब्योहार, फलाने अरझे रहिगें।
पाँच साल हम गोहरायन सब बहिर रहे हें,
तब कहयं हमीं गद्दार, फलाने अरझे रहिगें।
✏ प्रियांशु कुशवाहा ‘प्रिय’