शनिवार, 8 मार्च 2025

कवि‍ सम्‍मेलन , विट्स कॉलेज, सतना , 02.02.2025

 कवि‍ सम्‍मेलन , विट्स कॉलेज, सतना , 02.02.2025

आकार वेलफेयर सोसाइटी के तत्‍वावधान में विट्स कॉलेज, सतना में चल रहे दो दिवसीय कला उत्‍सव के द्वितीय दिवस में कवि सम्‍मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के नामवर कवि पद्मश्री बाबूलाल दाहिया जी सहित अनेक कवियों के साथ मैंने भी काव्‍य पाठ और इस कवि सम्‍मेलन का मं‍च संचालन किया। इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि रहीं राज्‍य मंत्री प्रतिमा बागरी जी ने सभी कवियों को स्मृति चिन्‍ह देकर सम्‍मानित किया। आकार वेलफेयर सोसाइटी की प्रमुख अनामिका सिंह जी, अमित शुक्‍ला जी, मयंक अग्निहोत्री जी के साथ पूरी टीम का बहुत आभार। 

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काव्‍य पाठ करते हुए कवि प्र‍ियांशु प्रि‍य


पद्मश्री बाबूलाल दा‍हिया जी के साथ  

राज्य मंत्री प्रत‍िमा बागरी जी स्‍मृति चिन्‍ह प्रदान करते हुए
राज्‍यमंत्री प्रतिमा बागरी जी, आकार वेलफेयर सोसाइटी की अध्‍यक्ष अनामिका स‍िंह और कथाकार वंदना अवस्‍थी दुबे जी के साथ

पद्मश्री बाबूलाल दा‍हिया जी के साथ

साह‍ि‍त्य अकादमी कार्यक्रम, मैहर 28.02.25

साहि‍त्‍य समारोह , मैहर , 28.02.2025

साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल के तत्वावधान में स्वामी दयानंद सरस्वती जी स्मृति प्रसंग व्याख्यान एवं रचनापाठ साहित्य समारोह दिनांक 28 फरवरी, 2025 को मैहर में आयोजित  किया गया। इस अवसर पर साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ रामानुज पाठक, सेवानिवृत्त हिंदी प्राध्यापक डॉ गया प्रसाद चौरसिया ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इसके पश्चात द्वितीय सत्र में कवियों का रचनापाठ आयोजित हुआ।‌ जिसके मंच संचालन का दायित्व मैंने निभाया। पाठक मंच के संयोजक श्री अनिल अयान जी सहित उपस्थित सभी साहित्यिक मनीषियों एवं श्रोताओं का बहुत आभार। 

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काव्‍य पाठ करते हुए कवि प्र‍ियांशु प्रिय  
 


कवि सम्‍मेलनीय मंच संंचालन के वक्‍त कव‍ि प्रियांशु    






समस्‍त कवि 



कवयित्री प्रियंका मिश्रा, ओज कवि सुरेश सौरभ, गीतकार रामनरेश त्रिपाठी और कवि प्र‍ि‍यांशु 






साहित्‍य अका‍दमी, भोपाल मध्‍यप्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे जी द्वारा सम्‍मान प्राप्‍त करते हुए कवि प्र‍ियांशु





मंगलवार, 4 मार्च 2025

प्रकृति की खूबसूरती पर बघेली कविता

 प्रकृति की खूबसूरती पर बघेली कविता  

नई नवेली दुलहिन जइसा धरती करे सिंगार।
हरियाली के बिछा बिछौना,देखी सबतर हार।।
गोहू गजब गलेथा देखी,होइगा हबै जवान।
छप्पन इंची सीना कीन्हे,घूमै फिरै किसान।
सरसो राई ओड़िके पियरी,मंद मंद मुसकाय।
अरसी कलशा लिहे ठाढ़ ही,मन माहीं हरसाय।
मनमनाय के फूली अरहर,करहे अमिया आम।
चढ़ा बसंती रंग है देखी,सुबहौ दुपहर शाम।
तितली भौरा भनभनाय के लगे खूब मेड़रांय।
धरती सजी गजब के देखी,रितुराज गा आय।
ठंडी ठंड़ी हबा चलै जब,बिरबा लहरा लेय।
प्रकृति केर है गजब नजारा,जिउ हरियर करि देय।
चली गाँव मेड़़न मा बागी,खेतन माही घूमी।
गाँव केर पावन माटी का,चली चली सब चूमीं।
कहैं प्रियांशु स्वर्ग के दर्शन सब जन करी निसोच।
शिमला कुल्लू और मनाली,काहे जई निसोच। - कवि प्रि‍यांशु 'प्रिय' सतना (म प्र)

भाईचारा मरिगा दादू

भाईचारा मरिगा दादू

भाईचारा मरिगा दादू, मनई हबय कसाई,
एक बीता के जाघा माहीं, लपटयं भाई भाई।

नहीं आय अब प्रेम प्यार कुछ, मनई है खिसियान,
सगला दिन बस पैसा केहीं पाछे है पछियान।

पइसै सेहीं बनय रहा है मनई खूब बेउहार,
पइसै वालेन केही जलवा उनह‍िंंन के तेउहार।

पइसै वालेन केहीं देखी, पाछे सगले बागय,
जेखर खीसा छूंछ रहथै, ओसे दूरी भागय।

पइसा देखि‍के नेरे अइहैं, साथी हेली मेली,
नह‍िं त दूरी रह‍िहैं तुमसे, भले बोलाबा डेली।

पइसा रही जो तुम्‍हरे ठइआं, दुश्‍मन भाई बोली,
नेता ओता गोड़न गिर‍िहैं, रूप‍िया अइसा डोली।

पइसै खातिर भटक रहा है, मनई सांझ सकारे।
सगला दिन व जिउ टोरथै , आंखीं काढ़े काढ़े ।।

कहैं प्रियांशु दिखन जमाना, बदला है धौं कइसा।
ओहिन कइती होंय सबय जन, भरा है जेखे पइसा।।

- कव‍ि प्रियांशु प्रिय

रविवार, 5 जनवरी 2025

मोबाइल की लत पर बघेली क‍विता

 मोबाइल की लत पर
बघेली क‍विता
 

                        
मोबाइल बिन नीक न लागै,बिलकुल खाना पीना।
ऐखे बिना न परै रहाई,मुश्किल होइगा जीना।
खटिया से उचतै सब मन ई मोबाइल का देखै।
वाट्साप ग्रुप फेसबुक देखि आपन आंखी सेंकै।
बंद परी ही टी वी घर मा,कोहू नहीं देखइया।
पूरी सउख करे मोबाइल, कुच्छ न पूछा भैया ।
मोबाइल मा देख बीडियो ,व्यंजन घाल बनामै।
मगन रहै मोबाइलै माहीं, दारौ भात जरामै।
आई फोन लिहे उई बागै,लाखन केहीं आबै।
बापन केर कमाई माहीं, काहे न चमकामैं।
इंस्टाग्राम फेसबुक देखैं घिनही घिनही रील।
घरहूं बाले कुछू न बोलै,दये है अहिमक ढील।
कुछ जन लड़िका ठीक करत हे,करतिउ हेमै पढ़ाई।
मोबाइलै से पढ़ै रात भर,सबतर होय बड़ाई।
कहैं प्रियांशु मोबाइल मा हमै नीक औ नागा।
निकहे निकहे चैनल देखा,आखी मूंद न भागा - कवि प्रियांशु 'प्रिय'

यातायात के नियम पर कविता

यातायात पर बघेली कविता


भरर भुरुर अउ परर पुरुर तुम, अस गाड़ी भरउत्या है।
हाथ गोड़ टोरबाए भाई, रसपताल मा अउत्या है।

कालेजन से निकर्या भइलो,एक्सीलेटर पेल्या।
देखिके बिटियन काहीं गाड़ी, अधाधुंध तुम रेल्या।
बने रह्या तुम हैवी ड्राइवर, छाने‌ अद्धी पउआ।
रसपताल के फेर दवाई, चली‌ एक एक झउआ।।
हेलमेट नहीं बेसाह्या अबतक, खुल्ला मूड़ चलाया।
दुर्घटना का दिहा तू नेउता, आपन जान गबाया।।
मन‌ई धरन चलाबा भाई, गाड़ी अउ स्कूटी ।
नहीं त निपुरी थुथून थोभरा, हाथौ गौड़ौ टूटी।।
यातायात के नियम कायदा, ल्या तू सगला जान।
नहीं जो फसिहा चौराहा मा, कटबै करी चलान।।
लाल पियर हरियर बत्ती सब, देखे रह्या सचेत।
कबय रूकैं का, कबै चलय का, देती हैं संकेत।
धीम कइ लिहा गाड़ी आपन, जली जो पीली बत्ती।
लाल‌ लाल जो लाइट चमकी, बड़्या न एकव रत्ती।
जब रस्ता होई खाली एकदम, निकरैं केर तयारी।
हरियर बत्ती जली हो भैया, ट्रैफिक‌ लाइट निहारी।।
कहैं प्रियांशु सुना फलाने, मोर बात अब माना।
गाड़ी बाहन खूब चलाबा,नियम जो सगले जाना। 

- कवि प्रियांशु 'प्र‍िय' 

रविवार, 29 दिसंबर 2024

नई पुतउ के कहानी

नई पुतउ के कहानी


किन्हौ गोड़ पिरात है इनखर किन्हौ मूड़ पिराय‌।
किन्हौ चढ़ी बोखार है इनही,खानौ तक न खाय‌।
सास सकेलै काम घरे के,दस्स बजे तक सोमैं।
बड़ी बहाने बाज हई ईं,बोल देय त रोमैं।
मइके माहीं चारा छोलै,गोबर घाल उचामै।
ससुरे माहीं घिन लागत ही,थोभरा रोज फुलामैं।
अनटेढ़ी के बात करैं ई,मोबाइल भर गूलैं।
चमक चमक के रील बनामै,लाइक माही भूलैं।
सास बुढ़ीबा रोटी बनबै,इनही चढ़ी बेरामी।
दादू के त बात न पूछा,बहुतै हबै हरामी।
जमके लेय खूब उपरउझा,ओहिन कइती बोलै।
रंगा रहै दुलहिन के रंग मा, आगे पीछे डोलै।
रील मा भैया हंस के बोलै,अउचट थिरकै नाचैं ।
टोंक देय जो थोरकौ कोहू,कहतू हिबै कुलाचैं।
कहैं प्रियांशु अइसन दुलहिन जउने घर मा आबै‌।
मचा रहै रन जुज्झ हमेशा,मनई सुक्ख न पाबै। - कवि प्रियांशु 'प्रिय'


कविता- जीवन रोज़ बिताते जाओ

       जीवन रोज़ बिताते जाओ                                                                                भूख लगे तो सहना सीखो, सच को झूठा ...