शनिवार, 28 सितंबर 2024

बघेली हास्‍य कविता - बुलेट कार प्‍लैटीना - कवि प्रियांशु 'प्रिय'

बघेली हास्‍य कविता

बुलेट कार प्‍लैटीना


घर मा भूंजी भांग न एक्‍कौ, ऊपर छाओ टीना 
लड़‍िका अउंठा छाप हबै, पै ताने सबसे सीना।

गुन के आगर नाव उजागर, गुटका पउआ सोटै,
बीच सड़क मता रहै अउ नाली नरदा लोटै।

सीधी बागय रीमा बागय, बागय सतना डिसटि‍क,
मेहरा बनिके रील बनाबय, थोपे खूब लिपिस्टिक।

मुंह बनाय के बो‍करन जइसा, फोटो खूब खिचाबय,
ओहिन काहीं स्‍टेटस मा, सगला दिन चपकाबय।

डार अंगउछी नटई माहीं नेता युवा कहाबय।
गुटका अउर तमाखू खाके, निबले का मुरि‍हाबय।

फेरौ दद्दा कहैं कि दादू, ल‍ड़‍िका मोर नगीना,
काजे मा इनहूं का चाही बुलेट कार प्‍लैटीना। 

- कवि प्रियांशु 'प्रिय' 
मोबा. 9981153574
email - priyanshukushwaha74@gmail.com

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