बुधवार, 26 सितंबर 2018

इंसानों की बस्ती

कविता ~

 ( आँखों में कोहरा है )

इंसानों की बस्ती में अब हैवानों का पहरा है,
नफरत का रंग अबकी यहाँ बहुत गहरा है।

ईर्ष्या की नदियाँ जोरो-शोरों से बहती हैं,
प्रीत का पानी जरुर कहीं-न-कहीं ठहरा है।

हर बात सुनने चला आता जो आपके घर,
सच मानिए वही इंसान बहुत बेहरा है।

जला देते हैं लोग जहाँ देश के द्रोहियों को,
वहाँ हर रोज का त्योहार ही दशहरा है।

साफ कभी न दिखेगी इंसानी चेहरे की धूल,
हर एक चेहरे के पीछे एक दूसरा चेहरा है।

धुंधले नज़र आते हैं मुझे इस बस्ती के लोग,
शायद मेरी ही आँखों में कहीं घना कोहरा है।



  © प्रियांशु कुशवाहा " प्रिय "
शासकीय स्वशासी महाविद्यालय
          सतना ( म. प्र )

   




कविता ~ "किसान" ~ प्रियांशु " प्रिय "

कविता _

( किसान )

अंधियारों को चीर रोशनी को जिसने दिखलाया है।
और स्वंय घर पर अपने वह लिए अंधेरा आया है।
जिसके होने से धरती का मन पावन हो जाता है।
जिसके छूने से खेतों का तन उपवन हो जाता है।
मात देता है निरंतर वह देह की थकान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...

आँधियाँ तूफान इनके हर तेज से भयभीत होते।
पग में छाले, हाथ काले, जख़्मों के ये मीत होते।
जो धूप इस तन को छुए वह स्वयं सौभाग्य पाती।
और पसीने की चुअन हर खेत को पावन बनाती।
अन्न में तब्दील करता सूखे पड़े मैदान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...

हजारों योजनाएँ जो आज भी पन्नों में अटकी हैं।
बहुत मजबूरियाँ इनकी वो जा फांसी पे लटकी हैं।
न जाने कब मिलेगा न्याय हमारे इस विधाता को।
परिश्रम के कठिन स्वामी विश्व के अन्नदाता को।
अनमोल यह हीरा मिला है हिन्दोस्तान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...

✒ प्रियांशु कुशवाहा 





शुक्रिया डा. कुमार विश्वास सर


युवा कवि प्रियांशु के जन्‍मदिन पर युग कवि डा. कुमार विश्‍वास जी ने शुभकामनाऍं प्रेषित कीं......




युवा कवि प्रियांशु के जन्‍मदिन पर आयोजित कवि सम्‍मेलन

9 सितंबर 2018 को मेरे जन्मदिन के अवसर पर सभी स्नेहीजनों के बधाई संदेश बड़ी संख्या में प्राप्त हुए। निश्चित रुप से यह मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगा। 🙏🏻🙏🏻
जिले के वरिष्ठ विद्वान कवियों ने मेरी रिक्त झोली को आशीष से भर दिया। ❤🙏🏻जहां एक ओर देवतुल्य माता-पिता, नाना जी , दादा जी ,फूफा जी, बुआ जी एवं सभी आत्मीय स्वजन के साथ ही कवि बिरादरी के महान तपस्वियों ने काव्य रस में आशीष वर्षा कर दुआओं से अभिचिंतित करते रहे वहीं दर्शकों ने भी अपनी करतल ध्वनियों से शुभकामनाए दी। मेरे लिए यह वास्तव में जिन्दगी का एक स्वर्णिम तथा अद्वितीय पल रहेगा।
आप सभी का हृदयतल से अनंत आभार‌।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐❤

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शनिवार, 25 अगस्त 2018

कविता - " चुप रहो ! यहाँ सब शांत हैं " - प्रियांशु " प्रिय "

स्टार समाचार में प्रकाशित कविता 

'चुप रहो ! यहाँ सब शांत हैं'





कविता - " वक्त और मैं " - प्रियांशु कुशवाहा "प्रिय"

स्टार समाचार में प्रकाशित कविता 
"वक्त और मैं "






शब्द शिल्पी परिवार की संगोष्ठी


|| 22/08/18 ||

शब्द शिल्पी परिवार सतना के तत्वावधान में 22 अगस्त 2018 को  सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार स्व. हरिशंकर परसाई जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में संपन्न हुआ परसाई व्यंग्य विमर्श-नाट्य मंचन तथा युवा साहित्यकारों का महाकुंभ एवं सभी युवा रचनाकारों को वरिष्ठ साहित्यकार चिंतामणि मिश्र जी द्वारा किया गया पुरस्कृत ||

> *प्रियांशु कुशवाहा*
  *शा. स्व. स्ना. महा.*
      सतना ( म. प्र. )

अपने विंध्य के गांव

बघेली कविता  अपने विंध्य के गांव भाई चारा साहुत बिरबा, अपनापन के भाव। केतने सुंदर केतने निकहे अपने विंध्य के गांव। छाधी खपड़ा माटी के घर,सुं...