बेटी की विदाई पर बघेली कविता
अम्मा रोमयं , बहिनी रोमयं, रोमयं सगले भाई,
बाबौ काहीं खूब रोबाइस, बिटिया केर बिदाई।
बिटिया केही भए मा बाबा, खूब उरांव मनाइन ते,
अपने अपने कइती सबजन, कनिया मा छुपकाइन ते।
चारिउ कइती जंका मंका, खूबय खर्चा कीन्हिंन तै,
यहै खुशी के खातिर बाबा, सबतर नेउता दीन्हिन तै।
कइ दिन्हिंन अब काज हो दादा, होइगै वहौ पराई।
बाबौ काहीं खूब रोबाइस, बिटिया केर बिदाई.......
घर के बहिनी बिटिया आईं, मेंहदी लागय लाग,
सुध कइ कइ के काजे केहीं, ऑंसू आमय लाग।
आस पड़ोस के सबै मेहेरिया, घर मा आमय लागीं,
सबजन साथै बइठिके देखी, अंजुरी गामय लागीं।
रहि रहि ऑंसू बहय आज हम, कइसन केर छिपाई,
बाबा काहीं खूब रोबाइस, बिटिया केर बिदाई.......
फूफू काकी मउसी बहिनी, ऑंसू खूब बहामय,
बाबा रोमय सिसक सिसक के, बेटी का छुपकामय।
बिदा के दरकी बिटिया काहीं , अम्मा गले लगाए,
रोए न लाला बोलि बोलिके, ऑंसू रहै बहाए।
सीढ़ी के कोनमा मा बइठे, रोमय सगले भाई,
बाबा काहीं खूब रोबाइस, बिटिया केर बिदाई....... - कवि प्रियांशु 'प्रिय' मो. 9981153574
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