गुरुवार, 15 मई 2025

ऑपरेशन सिंदूर

ऑपरेशन सिंदूर
भारत बदला लइ लीन्‍हि‍स अ, हउकिस खासा तान के, 
निकहा अइसी तइसी होइगै, घिनहे पाकिस्‍तान के।
घर दुआर सब निपुर गें खासा,  होइगै ही बरबादी।
आधी रात के हमला माहीं, जब मरे हें आतंकवादी।  
पहलगाम मा तै मारे तै, चीन्‍ह चीन्‍ह जब मनई।
होत ही कइसा पीरा सारे, या तोखा अब जनई।
दुलहिन के स‍िंदूर उजारे, महतारि‍न केर लोलार।
बह‍िनिन के भाई का मारे, बेटबन केहीं प्‍यार।
मनई नहीं सनीचर आहे, बिन लात खाए न मनते है। 
भारत के ताकत तै खासा, निकहे सेहीं जनते है।
जब पिठांय सुहुराय तोर तब, भारत कइ नि‍हारे।
कचर गए तै कइयक दरकी, सुध कइ लीन्‍हें सारे।
ऑपरेशन सिंदूर न ब‍ि‍सरी, बिसरी न य बदला।
अइसय जो करतूत रही त,पाक य निपुरी सगला।
काश्‍मीर भारत के है या रोज सकन्‍ने बाँचा कर। 
दोख द‍िहे तै बाद मा पहिले, आपन काँपी जाँचा कर।
भारत के सेना दुश्‍मन काहीं, हेर हेर के मारत ही।
कहौं लुका होय दुनियाँ मा, गोड़े के नीचे गाड़त ही।     
सौ सौ बेर प्रणाम करिथे, हे भारत केर जवान। 
होए से तुम्‍हरे अमर हबय या, आपन हिंदुस्‍तान। -कवि प्रियांशु 'प्र‍िय' मोबा. 9981153574

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कविता- जीवन रोज़ बिताते जाओ

       जीवन रोज़ बिताते जाओ                                                                                भूख लगे तो सहना सीखो, सच को झूठा ...