रविवार, 25 फ़रवरी 2024
किसान पर कविता -
© प्रियांशु कुशवाहा "प्रिय"
होली पर कविता - " भरा इश्क़ का रंग रहे "
कविता...
~ प्रियांशु कुशवाहा "प्रिय"
सतना ( म. प्र. )
कविता - "आओ सब मिलकर दिवाली मनाएँ"
कविता ~
कविता - ' वंचित होकर सुविधाओं से '
कविता -
' वंचित होकर सुविधाओं से '
© प्रियांशु कुशवाहा 'प्रिय'
सतना ( म.प्र )
मो. 9981153574
कविता - '' देखो यहाँ विकास हो रहा '' - कवि प्रियांशु 'प्रिय'
कविता
'देखो यहाँ विकास हो रहा !'
सारे शहर में खुदा है गड्ढा, सड़क का सत्यानाश हो रहा।
चार वर्ष ये नींद में गहरी, जी जी भरकर सोया करते।
जनता इनके पैर की जूती, नहीं किसी से कभी ये डरते।
जब चुनाव की बारी आती, होश में तब ये आते हैं,
ढेरों वादे और घोषणा की झोली भर लाते हैं।
तब इनको लगता है, जनता के हिस्से की बात करें।
उनको ही भगवान बनाएँ, पूजा भी दिनरात करें।
जिनका रहा विरोध हमेशा, अब उनपर विश्वास हो रहा।
नेता मंत्री गर्व से बोले, देखों यहाँ विकास हो रहा......
रुतबा इनका ऐसा है कि, ऊपर ही पेशाब करेंगे।
अपने हक की बात करो तो, उसमें बहुत हिसाब करेंगे।
जब चुनाव की बारी आयी, इन्होंने इतना प्यार है बाँटा।
कइयों के खाते तक देखो, पैसे कई हज़ार है बाँटा।
जन की सेवा करने खातिर, गाँव गाँव में मित्र बनाए।
जनसेवा ने ज़हर खा लिया, इन्होंने अपने वोट गिनाए।
सब उनके बन गए प्रचारक, ऐसा ही आभास हो रहा।
नेता मंत्री गर्व से बोले, देखों यहाँ विकास हो रहा........
© प्रियांशु कुशवाहा 'प्रिय'
बघेली कविता - 'आमैं लाग चुनाव'
बघेली कविता -
' आमैं लाग चुनाव '
हरबी हरबी रोड बनाबा, आमैं लाग चुनाव,
चुपर-चुपर डामर पोतबाबा, आमैं लाग चुनाव।
बहिनी काहीं एक हज़ार है, भइनें काहीं लपकउरी,
जीजौ का अब कुछु देबाबा, आमैं लाग चुनाव।
जनता का अपने गोड़े के, पनहीं अस त मनत्या है।
वोट के खातिर तेल लगाबा, आमैं लाग चुनाव।
चार साल तुम चून लगाया, पचएँ माहीं कहत्या है,
फूल के सउहें बटन दबाबा, आमैं लाग चुनाव।
जनता आपन काम छाड़िके, लबरी सुनैं क ताके ही,
तुम निसोच रैली करबाबा, आमैं लाग चुनाव।
सालन से अंधियारे माहीं, रहिगें जे मनई भइलो,
उनखे घर झालर तुतुआबा, आमैं लाग चुनाव।
शनिवार, 26 अगस्त 2023
कारगिल दिवस पर कविता
कारगिल दिवस पर कविता
वीर सैनिकों पर मैं कोई श्रेष्ठ कविता लिख सकूँ ये हिम्मत मेरी कलम में नहीं है परंतु अपने रचनात्मक सहयोग से उन अमर शहीदों को श्रद्धा सुमन तो अर्पित कर ही सकता हूँ। जिनके कारण हम सब चैन की नींद सो पाते हैं। 26 जुलाई 2023 को 24वाँ कारगिल दिवस समारोह विट्स कॉलेज, सतना में मनाया गया। जिसमें कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए साथ ही मैंने भी सैनिकों के सम्मान में अपने शब्द पुष्प अर्पित किए। सुनिए 28 ये कविता...... ❤️
कारगिल विजय दिवस VITS COLLEGE, SATNA |
अपने विंध्य के गांव
बघेली कविता अपने विंध्य के गांव भाई चारा साहुत बिरबा, अपनापन के भाव। केतने सुंदर केतने निकहे अपने विंध्य के गांव। छाधी खपड़ा माटी के घर,सुं...
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बघेली के महाकवि स्वर्गीय श्री सैफुद्दीन सिद्दीकी ''सैफू'' जी का जन्म अमरपाटन तहसील के ग्राम रामनगर जिला सतना ( मध्य प्रदेश...
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बघेली कविता ~ ( उनखे सरपंची मा ) केतना विकास भा उनखे सरपंची मा,, मनई उदास भा उनखे सरपंची मा,, गोरुआ अऊ बरदन का भूखे सोबायन,, हम...
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कविता _ ( किसान ) अंधियारों को चीर रोशनी को जिसने दिखलाया है। और स्वंय घर पर अपने वह लिए अंधेरा आया है। जिसके होने से धरती का मन पावन...