🪷 तमिल ग्रंथ तिरुक्कुरल और बघेली का संगम 🪷
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केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान के द्वार पर.... |
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देशभर से आए विभिन्न भाषाओं के विद्वान |
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समापन समारोह में वक्तव्य देते हुए कवि प्रियांशु |
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समापन समारोह में वक्तव्य देते हुए कवि प्रियांशु साथ ही मंचासीन अतिथि |
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समापन समारोह में वक्तव्य देते हुए कवि प्रियांशु |
9 से 15 जुलाई 2025 तक चेन्नई स्थित केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (CICT) में प्रसिद्ध तमिल ग्रंथ ‘तिरुक्कुरल’ की विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद समीक्षा हेतु एक विशेष कार्यशाला आयोजित हुई। सौभाग्य की बात है कि मुझे बघेली भाषा के प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया। पूरे भारत से आए विद्वानों के साथ मिलकर इस ऐतिहासिक ग्रंथ की गहराई को समझना और अपनी भाषा में उसका मूल्यांकन करना एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। इस अवसर पर मैं संस्थान के निदेशक प्रो. के. चंद्रशेखरन सर, रजिस्ट्रार डॉ. आर. भुवनेश्वरी मैम, मद्रास विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सरस्वती मैंम, प्रो. गोपालकृष्णन सर तथा आयोजन समन्वयक डॉ. अलगुमुत्थु वी. सर का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ। जिन्होंने इस ग्रंथ को विभिन्न भाषाओं के साथ जोड़ने हेतु विचार किया।
गर्व है कि उत्तर भारत की भाषाएं अब धीरे-धीरे दक्षिण भारत में भी सुनी और समझी जा रही हैं। बघेली के माध्यम से 'तिरुक्कुरल' से जुड़ना मेरे लिए केवल एक दायित्व नहीं बल्कि आत्मिक सुख का अनुभव रहा। शीघ्र ही 'तिरुक्कुरल' का बघेली अनुवादित संस्करण प्रकाशित होगा।
CICT की पूरी टीम का हृदय से धन्यवाद। ❤️
Central Institute of Classical Tamil
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