कविता _
( किसान )
अंधियारों को चीर रोशनी को जिसने दिखलाया है।
और स्वंय घर पर अपने वह लिए अंधेरा आया है।
जिसके होने से धरती का मन पावन हो जाता है।
जिसके छूने से खेतों का तन उपवन हो जाता है।
मात देता है निरंतर वह देह की थकान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...
आँधियाँ तूफान इनके हर तेज से भयभीत होते।
पग में छाले, हाथ काले, जख़्मों के ये मीत होते।
जो धूप इस तन को छुए वह स्वयं सौभाग्य पाती।
और पसीने की चुअन हर खेत को पावन बनाती।
अन्न में तब्दील करता सूखे पड़े मैदान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...
हजारों योजनाएँ जो आज भी पन्नों में अटकी हैं।
बहुत मजबूरियाँ इनकी वो जा फांसी पे लटकी हैं।
न जाने कब मिलेगा न्याय हमारे इस विधाता को।
परिश्रम के कठिन स्वामी विश्व के अन्नदाता को।
अनमोल यह हीरा मिला है हिन्दोस्तान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...
✒ प्रियांशु कुशवाहा
( किसान )
अंधियारों को चीर रोशनी को जिसने दिखलाया है।
और स्वंय घर पर अपने वह लिए अंधेरा आया है।
जिसके होने से धरती का मन पावन हो जाता है।
जिसके छूने से खेतों का तन उपवन हो जाता है।
मात देता है निरंतर वह देह की थकान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...
आँधियाँ तूफान इनके हर तेज से भयभीत होते।
पग में छाले, हाथ काले, जख़्मों के ये मीत होते।
जो धूप इस तन को छुए वह स्वयं सौभाग्य पाती।
और पसीने की चुअन हर खेत को पावन बनाती।
अन्न में तब्दील करता सूखे पड़े मैदान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...
हजारों योजनाएँ जो आज भी पन्नों में अटकी हैं।
बहुत मजबूरियाँ इनकी वो जा फांसी पे लटकी हैं।
न जाने कब मिलेगा न्याय हमारे इस विधाता को।
परिश्रम के कठिन स्वामी विश्व के अन्नदाता को।
अनमोल यह हीरा मिला है हिन्दोस्तान को...
शत् शत् नमन मेरा इस देश के किसान को...
✒ प्रियांशु कुशवाहा
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 04 जून 2022 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत आभार
हटाएंसुंदर और सार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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