अगर आप #गाँव में रहे होगें य आपने स्वयं भी अपने भीतर गाँव को जिया होगा तो बेश़क आप इन दृश्यों से परिचित होंगे जहाँ पत्थर और मिट्टी की बनी दिवालें, ओरमानी में छाए हुए खपड़ा,खटिया में कथरी बिछाकर आराम करते हुए लोग,कुठुली पेउला के इर्द गिर्द चूहों के बिल, जाड़े के मौसम में सुबह-सुबह पइरा जला कर आग तापते ग्रामीण और भी बहुत कुछ...
इन सबको कविता में ढालने का काम #बघेली के महाकवि सैफुद्दीन सिद्दीकी "सैफू" जी ने किया... तो आइए सुनते हैं सैफू" जी की #बघेली_कविता #गमईंन_के_घर.....
बघेली कविता || गमईं के घर || कवि सैफूद्दीन "सैफू" जी || GAMAI KE GHAR
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बघेली कविता || गमईं के घर || कवि सैफुद्दीन सिद्दीकी सैफू जी ||