शनिवार, 14 नवंबर 2020

बघेली कविता.. ( गरीब केर देवारी ) ~ [ सैफुद्दीन सिद्दीकी "सैफू" जी ]

 

बघेली कविता...




आज दीपावली है। चारों ओर दिया जगमगा रहे हैं, पटाखों की आवाज़ से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा है। परंतु अंतिम छोर पर खड़ा एक वह गरीब भी है जिसके भाग्य में न तो कोई दिन है और न ही कोई त्योहार। उसके अपने सभी खेत बिक गए हैं और अपने परिवार को दो जून की रोटी देने के लिए दिनभर दूसरों के खेतों में मज़दूरी भी करनी पड़ती है। अपने परिवार के सदस्यों के चेहरे पर मुस्कान देखकर वह सभी त्योहार मना लेता है। तो आज आपको उसी गलियारे से निकली हुई एक #बघेली_कविता से जोड़ता हूं, जिसके रचयिता हैं महाकवि सैफुद्दीन सिद्दीकी "सैफू" जी



( गरीब केर देवारी )


मन के बात मनै मा रहिगै, होइगै आज देवारी।

बातिउ भर का तेल न घरमा, दिया कहाँ ते बारी।


खेत पात सब गहन धरे हैं, असमौं न मुकतायन,

बनी मजूरी कइके कइसव, सबके पेट चलायेन।


अढ़िऔ तबा बिकन डारेन सब, दउर परी महंगाई।

पर के फटही बन्डी पहिरेब, कइसे नई सियाई।।


लड़िकौ सार गुडन्ता खेलै, गोरूआ नहीं चराबै।

कही पढ़ैं क तो भिन्सारेन, उठके मूड हलावै।


रिन उधार बाढ़ी टोला मा, कोउ नहीं देबइया।

खाँय भरे का है मुसलेहड़ी, हमहिन एक कमइया।।


दिन भर ओड़ा टोरी आपन, तब पइला भर पाई।

माठा भगर मसोकी सबजन, कइसव पेट चलाई।।


तिथ त्योहार होय सबहिन के, मुलुर मुलुर हम देखी।

केतना केखर रिन लागित हन, आँखी मूँद सरेखी।।


मनई के घर जलम पायके, मनई नहीं कहायेन।

डिठमन दिया देवारिउ कबहूँ, नीक अन्न न खायेन।।


उमिर बीतगै भरम जाल मा, भटकत भटकत भाई।

तुहिन बताबा केखे माथे, अब हम दिया जराई।।


सोउब रहा तो दादा लइगा, अब ओलरब भर रहिगा।

मँहगाई मा सबै सुखउटा, पानी होइके बहिगा।।


कउन लच्छमी धरी लाग ही, जेखर करी पुजाई।

कउने फुटहा घर मा ओखर, मूरत हम बइठाई।।


गाँवौं के कुछ मनई अइहैं, जो कजात बोलवाई।

केतनी हेटी होई गय जो हम, बीड़िउ नहीं पिआई।।


नरिअर रोट बतासौ चाही, कमरा दरी बिछाई।

है तो हियाँ फटहिबै कथरी, छूँछ खलीसा भाई।।


करम राम बेड़ना ओढ़काये, कुलकुतिया है मनमा।

आव लच्छमी तहूँ बइठ जा, पइरा के दसनन मा।।


झूरै झार पुजाई लइले, तोर हबै सब जाना।

गोड़ टोर के बइठ करथना, कइ लीन्हें मनमाना।।


बड़े बड़े मनइन के नेरे, तैं अबतक पछियाने।

उनहिन के घरमा बिराज के, खूब मिठाई छाने।।


अब महुआ के लाटौ लइले, फुटही देख मड़इया।

दालिद केर पहाड़ देखले, चढ़ले तहूँ चढ़इया।।


मन के दिया जराय देब हम, मानिउ लिहे देवारी।

तोर गोड़ धोमैं के खातिर, गघरिन आँसू डारी।।


कहु तो फार करेजा आपन, तोही लाय देखाई।

य जिउ के माला बनाय के, तोहिन का पहिराई।।


गनिउ गरीबन केर पुजाई, मान लिहे महरानी।

रच्छा कारी करै सवत्तर, तोहिन का हम जानी।।


घुरबौ भर के बेरा लउटै, कबहूँ व दिन देखब।

महा लच्छमी केर पुजाई, कइके रकम सरेखब।।


अँतरी खोंतरी मा घिउ भरके, लाखन दिया जराउब।

बूँदी के लेड़ुआ बँटाय के , हमू उराव मनाउब।।


इहै बिसूरत झिलगी खटिया, गा टेपुआय बिचारा।।

"सैफू" कहैं देवारी आई, दिया सबै जन बारा।।


~ सैफुद्दीन सिद्दीक़ी "सैफू"

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

व्यंग्य ~ ( हम और बेचारी मीडिया )

 

व्यंग्य
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( हम और बेचारी मीडिया )

अब सब कुछ पहले जैसा रहा ही नहीं। कितने खूबसूरत दिन हुआ करते थे ना आदमी के पास मोबाइल था, ना टीवी, ना ही इतनी बेहतरीन टेक्नोलॉजी जो आज सबके पास उनकी जेब में ही उपलब्ध है। अरे भई! जब हमारे पास यह सब नहीं था तब भी तो लोग अपना काम कर रहे थे। तो क्या जरूरत थी इतना आगे बढ़ने की ? मोबाइल आने से चिट्ठियों का ज़माना जरूर खत्म हुआ है, लेकिन अब श्यामू बेचारा अपनी प्रेमिका मनीषा से मिलने नहीं जा पाता। जब भी ऐसा अवसर बनता तो बेचारे का कोई ना कोई काम आ जाता या कोई फोन करके उसे बुला लेता और मनीषा से मिलने की जगह न जाने उसे कितनों से मिलना पड़ जाता। प्रेमी और प्रेमिका के साथ सबसे बड़ी समस्या यही हो गई है कि पहले तो एक प्रेमी की एक ही प्रेमिका हुआ करती थी परंतु मोबाइल आ जाने के कारण ना जाने कितनों को एक साथ समेट कर चलना पड़ता है। तकनीक का युग तो उन दिनों भी था। हम और आप रेडियो सुनकर मनोरंजन या समाचार का आनंद भी ले सकते थे और देश - दुनिया की घटनाओं पर नज़र रख सकते थे। पर अब लोग टीवी या मोबाइल पर ही समाचार देखना बड़ा पसंद करते हैं। बेचारे रेडियो के साथ बड़ी समस्या हो गई। रेडी होते ही आउट होना पड़ा। मैंने ऊपर रेडियो में मनोरंजन और समाचार सुनने की बात कही है। परंतु वर्तमान परिदृश्य को देखकर यह दोनों एक दूसरे के समकालीन ही नज़र आते हैं और हों भी क्यों ना जबसे बेचारे रेडियो का स्थान टी.वी. अथवा मोबाइल ने लिया है तबसे समाचार मनोरंजन और मनोरंजन समाचार एक जैसे ही हो गए हैं। अब तो बच्चों को मनोरंजन करना हो य कोई हास्यास्पद वीडियो देखने हो तो वह भी छोटा भीम, सोनपरी य शक्तिमान नहीं देखते। वह भी सोचते हैं चलो यार आज किसी न्यूज़ चैनल में फाइटिंग चल रही होगी वही देख कर ही मनोरंजन करते हैं। 

हमारे पड़ोस में राजेश नाम के 1 मित्र रहते हैं। उम्र यही कोई 20-21 साल की होगी। बेचारे पैसों के अभाव के कारण घर बैठे ही किसी बड़ी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। उतनी सुविधाएं मिल नहीं पाती हैं तो एक दिन उन्होंने एक मित्र को फोन लगाया और कहा -

" रंजीत भाई ! कोई न्यूज़ चैनल बताइए जिससे हमारे करंट अफेयर की तैयारी यहीं से हो जाया करें "

रंजीत भाई ने राजेश जी को कोई 7-8 चैनलों के नाम बताएं और कहा- “आप मनोरंजन के साथ-साथ करंट अफेयर की तैयारी यहीं से कर सकते हैं।” राजेश ने धन्यवाद बोल कर तुरंत ही फोन काटा और टी.वी. चालू कर रंजीत के बताए हुए न्यूज़ चैनल सर्च करने लगे। टी.वी. चालू करते ही बेचारे राजेश बड़ी असमंजस भरी स्थिति में पड़ गए। एक बड़े से न्यूज़ चैनल के स्क्रीन पर लिखा आ रहा था।

" प्रधानमंत्री इमरान से आखिर क्यों हैं उनकी बीवी नाराज़..जानने के लिए देखिए आज रात 10 बजे..."

राजेश जी को लगा हो सकता है कोई गलत न्यूज़ चैनल लग गया हो। उन्होंने फिर चैनल बदला और एक नया न्यूज़ चैनल लगाया इस बार उनकी स्क्रीन पर लिखा आया।

" क्या चीन में एलियन गाय का दूध पीते थे ? ..जानने के लिए देखिए आज शाम 5 बजे सिर्फ और सिर्फ फलाना चैनल पर..।"  बेचारे राजेश जी जब भी कोई न्यूज़ चैनल लगाते ऐसी ही खबरें सामने आने लगती। उन्होंने तुरंत बाद टी.वी. बंद कर दिया और सोचने लगे- मैंने तो रंजीत भाई से करंट अफेयर के बारे में पूछा था। वह तो इमरान और उसकी बीवी के अफेयर के बारे में जानकारी देने वाले चैनल का नाम बता कर गए हैं। 

भुखमरी, बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा, गरीबी इत्यादि यह सब तो देश में हमेशा ही रही है। चाहे उस वक्त किसी की भी सरकार रही हो। न्यूज़ चैनल वाले भी चाहते हैं कि इन समस्याओं को दिखाकर पुनः समाज के सामने उजागर क्यों करें। स्थिति तो अब ऐसी हो गई है कि पहले लोग झूठ बोलते थे और मीडिया सच ढूंढ कर लाती थी और अब मीडिया झूठ बोलती है और लोग सच ढूंढने का काम करते हैं। खैर ! जिसकी सरकार में देश की मूलभूत समस्याएं टीवी पर नहीं आ रही है, वही चैनल अच्छी खासी टी.आर.पी बटोर रहे हैं। अब भला पैसा और नाम कौन नहीं कमाना चाहता है। स्थिति तो सत्यवादियों की ख़राब है जो बेचारे इन समस्याओं को टीवी में दिखाना चाहते हैं। उनको सोशल मीडिया में ट्रेंड करके गालियां दे दी जाती हैं और भला सच्ची और अच्छी खबरें आज सुनना ही कौन चाह रहा है। ज्यादातर लोग तो हवा की ओर चलना ही पसंद करते हैं। 

मुझे व्यक्तिगत रूप से किसी न्यूज़ चैनल से लगाव या घृणा नहीं है, और न ही मैं इतना समाचार सुनता हूँ लेकिन कुछ चैनल के एंकर इतने खतरनाक तरीके से बोलते हैं-

 “ गौर से देखिए यह चेहरा ! हो सकता है आपके इर्द-गिर्द ही छुपा हो..” 

ठीक ऐसा सुनते ही बगल में बैठे पिताजी को यही महसूस होता है कि उनके ही बेटे ने ही इस संगीन वारदात को अंजाम दिया है। बेरोजगारी वास्तव में अपनी चरम सीमा पार कर रही है लेकिन इसमें बेचारी सीधी-सादी और नादान सरकार को दोष देना ग़लत है। अब न्यूज़ चैनल वालों का ही उदाहरण ले लीजिए इतनी बेरोजगारी भरी स्थिति में उनके रिपोर्टर्स भी तो कमाई कर रहे हैं, हाँ! लेकिन उन्होंने चाटुकारिता का बेहद महत्वपूर्ण और आवश्यक कोर्स भी किया है। अगर आप सत्य बोल रहे हैं य आपको चाटुकारिता भरी रिपोर्टिंग य एंकरिंग नहीं आती, तब आपको खासा मुश्किल भी हो सकती है। 

हम तो धन्य मानते हैं उन रिपोर्टर्स को जिन बेचारों को अपने देश से ज्यादा दूसरे देशों की चिंता सताए जा रही है। आख़िर इतना वक्त किसके पास है जो अपने देश की समस्याओं को छुपा कर दूसरे देश की समस्याएं अपने चैनल पर चलाएं। परंतु हमारे देश की मीडिया सार्वदेशिक है। उसे अपने देश के साथ साथ समूचे विश्व की चिंता सताए जा रही है। किस देश में कितनी गरीबी है ? क्यों है ? और यह कैसे खत्म की जा सकती है। ये अपने देश की मीडिया बखूबी जानती है। अपने देश के कुछ न्यूज़ चैनल्स सरकार की हज़ारों कमियों को भी छुपाने का गुर सीख कर आए हैं।

उम्मीद है और निश्चित रूप से आशा भी है कि भारतीय पत्रकारिता और यहाँ के कुछ न्यूज़ चैनल्स अपने इस अनूठे और अप्रतिम अंदाज़ को इसी तरह जारी रखेगे जिससे आने वाले समय में भारत में पल रही मूलभूत समस्याएं छुप जाएं और हम और हमारा देश पुनः विश्व भर में स्वर्णिम पहचान बना सके।

©  प्रियांशु “प्रिय”
मो. 9981153574

गुरुवार, 14 मई 2020

कविता ... कोरोना को हराना है ~ प्रियांशु कुशवाहा प्रिय


कविता

( कोरोना को हराना है...) 

हमको खुद भी बचना है और, हिंदुस्तान बचाना है।
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।

इंसाँ की ही गलती है ये, इंसाँ ने ही बुलाया है।
सारी दुनियाँ सोच रही है, कैसा वायरस आया है ?
इसका कोई इलाज़ नहीं है, और न कोई दवाई है।
सोचो कैसे जीते दुनियाँ, कैसी नौबत आई है ?
सबसे पहली बात ये मानों, घर के बाहर मत जाओ।
रखो सफाई आसपास तुम, यही सभी को बतलाओ।
सैनेटाइजर, मास्क जरूरी, रखना अपने साथ।
मुख ढकने की आदत डालो, धो लो दोनों हाथ।
सामाजिक दूरी बहुत जरूरी, इसको भी अपनाना है।
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।

बच्चों और बुजुर्गों का भी रखना बेहद ध्यान,
इनसे ही घर, घर लगता है, ये ही हैं भगवान।
दर्द, बुखार और सूखी खाँसी गर ये सब हो जाए,
तकलीफ रहे जो सीने में और साँस फूलती जाए।
तुरत डाक्टर को दिखवाना, न करना बिल्कुल देरी,
झार फूक के चक्कर में, हो जाए न हेरा-फेरी।
गरीब और असहायों की भी रक्षा बहुत जरूरी है,
उसके पहले याद रखो, सुरक्षा बहुत जरूरी है।
सकारात्मक रहना सबको, नहीं कभी घबड़ाना है,
इस मुश्किल के दौर में मिलकर, कोरोना को हराना है।


©® प्रियांशु "प्रिय"

गुरुवार, 7 मई 2020

कोरोना से बचाव के उपाय एवं हमारी भूमिका

कोरोना से बचाव के उपाय एवं हमारी भूमिका

प्रस्तावना ... 


विश्व के सभी देशों के पास अपनी अलग अलग ऐसी प्रतिभाएं हैं। जिससे वे स्वयं को दूसरे देशों से अलग साबित करता है। वह किसी भी क्षेत्र में हो सकती हैं जिनमें विज्ञान, खेलकूद , साहित्य , चिकित्सा इत्यादि हैं। प्रत्येक देशों के पास अपनी ऐसी प्रतिभाएं, उपकरण या कुछ ऐसा अलग है, जिससे वह स्वयं को वैश्विक पटल पर रखने हेतु कारगर है । भारत भी पूरे विश्व में अपनी अलग छवि बना चुका है। साथ ही दिन प्रतिदिन हिंदुस्तान में नित्य नए अविष्कार के साथ साथ  नई नई प्रतिभाएँ जन्म लेती है। परंतु भारत ही नहीं अपितु समूचे विश्व में कभी ना कभी कोई ऐसी समस्या का जन्म हो जाता है, जिससे पूरे देश को एक साथ लड़ना पड़ता है। परंतु जब इन समस्याओं का निर्माता स्वयं मनुष्य हो तब इसे वैश्विक होने से कोई नहीं रोक सकता है।

COVID-19 ( कोरोना वायरस ) ... 


इन दिनों ठीक ऐसी ही एक घातक महामारी *कोरोना* पूरे विश्व में कोहराम मचा रही। यह सार्वदेशिक रोग एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में बड़ी ही तेजी से फैलता है। कोरोना वायरस एक प्राणघातक वायरस है । स्वयं को इससे दूर रखना या स्वयं को इससे बचाना ही सबसे बड़ी दवाई है। खबरों के अनुसार जानने पर यह पता चलता है कि यह महामारी चीन के वुहान शहर से शुरू हुई थी और शीघ्र ही मात्र 3 महीनों के भीतर इसने भारत सहित लगभग पूरे विश्व को अपने कब्जे में ले लिया।

 कोरोना वायरस के लक्षण... 

इस सार्वदेशिक रोग के लक्षण मामूली से रहते हैं। जिससे रोगी को पहचानना भी काफी मुश्किल होता है। परंतु इस बीमारी के आम लक्षण सूखी खांसी , बुखार, थकान ही हैं और ज्यादातर गंभीर मामलों में सांस लेने में भी तकलीफ होती है।

कोरोना से बचाव के उपाय...

पूरी दुनिया में फैले इस वायरस से अब तक लगभग 3 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। साथ ही 37 लाख से ज्यादा संक्रमित भी हैं। पूरी दुनिया की चिकित्सा पद्धति भी इसका पुख्ता इलाज नहीं खोज पा रही है और जो खबरें आ रही हैं उनसे पता चलता है कि इससे दवा बनने में लगभग 6 से 7 महीने का समय लग सकता है तब तक हमें स्वयं ही इससे बचना होगा जो कि बेहद आसान है आइए हम निम्न बिंदुओं से जानते हैं इससे बचने के उपाय :-
1. इससे बचने के लिए सामाजिक दूरी अपनाना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
2. स्वयं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु पौष्टिक आहार लेना बेहद आवश्यक है।
3. बिना आवश्यकता के हमें घर से बाहर नहीं निकलना है ।
4. हमें शौच के बाद और खाना खाने से पहले अपने हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से नियमानुसार धोना है।
5.अगर अति आवश्यक कार्य से बाहर जाना पड़ रहा है तो मास्क लगाकर और सैनिटाइजर लेकर ही घरों से बाहर निकले।
6. खाँसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना बेहद आवश्यक है।
7. हमें बीमार व्यक्ति के नज़दीक जाने से बचना है ।
8. बिना हाथ धोए अपने नाक, मुंह, को ना छुएँ।
9.खांसी बुखार और सांस लेने में तकलीफ हो तो जल्द से जल्द चिकित्सक के पास जाएं।
10. अपने आसपास हमेशा साफ-सफाई रखकर ही हम इस महामारी से निजात पा सकते हैं।

हमारी महत्त्वपूर्ण भूमिका...

इस महामारी से लड़ने के उपाय बेहद आसान हैं। परंतु हमें यह अवश्य ज्ञात होना चाहिए कि एक वह वर्ग भी है जो अपनी जान दाव पर लगाकार चौबीसों घंटे हमारी सेवा में लगा रहता है। निश्चित रूप से वह ईश्वर का ही दूसरा रूप है जो हरपल, हरवक्त हमारी हर संभव मदद कर रहे हैं। भारत का एक शिक्षित और जागरूक युवा होने पर हमारी भी यह जिम्मेंदारी बनती है कि स्वास्थ विभाग और सरकार द्वारा बताए गए नियमों का पालन करके उन असहाय लोगों तक पहुँचें और अपनी क्षमता अनुसार उनकी मदद करें साथ ही लोगों को इससे बचने के उपाय बताकर यह भी बतलाएँ कि हम सदैव सकारात्मक रहकर भी अपनी प्रतिरोधक क्षमता को जीवंत कर सकते है जो न सिर्फ कोरोना अपितु हर एक बीमारी से लड़ने हेतु बेहद आवश्यक है।


©® प्रियांशु  कुशवाहा " प्रिय "







मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

कविता || चुप रहो ! यहां सब शांत हैं || कवि प्रियांशु "प्रिय" ||

कविता ...

( चुप रहो ! यहाँ सब शांत हैं ...... ) 

यह वक्त ही कुछ ऐसा हो गया है कि सबको सबसे घृणा, ईर्ष्या, नफ़रत सी होने लगी है। एक व्यक्ति स्वयं को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए कुछ भी करने पर उतारू हो रहा है। भरी भीड़ में भी सब अकेले ही हैं। सत्ता के गलियारे तक अगर कोई बात चली जाए तो वहाँ सत्य बोलना मौत के साथ खेल खेलेने जैसा है। इसलिए हर जगह सत्य की भाषा और सत्य बोलने वालों की ज़बान बंद कर दी गई है। सरकार के पास गरीबों के खाने से लेकर उनके आवास तक की योजना महज़ कागज़ में ही सुरक्षित है। वो सब कागज़ी योजनाएं भी धीरे धीरे कूड़ेदान में डाली जा रही हैं। 
लोगों के बदलते हुए व्यवहार, चरित्र से लेकर सियासत तक की अंधी व्यवस्था को सुनिए इस कविता में......

( चुप रहो!  यहाँ सब शांत हैं... )

~    लेखन एवं प्रस्तुति
(  कवि प्रियांशु कुशवाहा "प्रिय" )
मों.  9981153574 , 7974514882



कविता यहाँ से सुने 👉👉   चुप रहो ! यहाँ सब शांत हैं....

शनिवार, 25 अप्रैल 2020

एक प्रेरक कहानी ~ शरत चंद्र चट्टोपाध्याय


शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ( 15 सितंबर 1876 - 16 जनवरी 1936 ) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं लघुकथाकार थे। वे बांग्ला के सबसे लोकप्रिय उपन्यासकार हैं।उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। इसके अलावा उनकी रचनाओं में तत्कालीन बंगाल के सामाजिक जीवन की झलक मिलती है। शरतचंद्र भारत के सार्वकालिक सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सर्वाधिक अनूदित लेखक हैं।
प्रस्तुत कहानी उनकी कृति "शरतचंद्र की प्रेरक कथाएँ" से ली गई है। "राजू का साहस" कहानी में कथाकार बताते हैं कि जीवन में कितना भी कठिन समय आ जाए परंतु अपना साहस कभी नहीं खोना चाहिए। साथ ही जीवन में प्रत्येक व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। स्वयं के भीतर भय को पैदा करके मनुष्य कभी सफलता नहीं पा सकता और निर्भीक होकर हर एक काम करने से मनुष्य कठिन परिस्थितियों में  भी विजयी होता है। कहानी में यह भी देखने को मिलता है कि जब घर के सदस्य वृद्ध हो जाते हैं  तो उनके परिवार वालों को उनसे घृणा सी होने लगती है और वो उन पर बिल्कुल भी ध्यान न देकर स्वयं की दुनियाँ में मग्न रहते हैं। तो आइए सुनते हैं कहानी.............


#कहानी
#MotivationalStory
#Story




कहानी सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें...


रविवार, 22 मार्च 2020

बघेली कविता || कुठुली मा वोट देखाय परी || कवि सैफुद्दीन सिद्दीकी "सैफू" ||

बघेली कविता ...

 कुठुली मा वोट देखाय परी ~ 

> कवि सैफुद्दीन सिद्दीकी "सैफू" जी

जब चुनाव का समय आता है नेताओं और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ गांवों में वोट मांगने और चुनाव का प्रचार - प्रसार करने निकलती हैं। उस भीड़ के अंतिम छोर में खड़ा गांव का वह गरीब भी रहता है जिसे एक वक्त की रोटी के लिए दिनभर खेतों में पसीना बहाना पड़ता है, जिसका सेठ के यहां पहले से ही हजारों का उधार है और अब वह भी उसे अन्न देने से इंकार कर देता है। अंत में उसे नेताओं के भाषण में ही भविष्य की रोटी, कपड़ा, घर, पानी, बिजली इत्यादि नज़र आने लगते हैं। वह भी उस प्रचार-प्रसार में अपना सर्वस्व देने लगता है। परंतु चुनाव होने के पश्चात, कुर्सी मिलने के बाद कोई नेता उस गरीब को देखना भी पसंद नहीं करता। इन सबको अपनी खूबसूरत सी कविता में ढालने का काम किया है स्व. सैफुद्दीन सिद्दीकी "सैफू" जी ने.... तो आइए सुनते है बघेली कविता "कुठुली मा वोट देखाय परी".....

_ प्रियांशु कुशवाहा "प्रिय"
मो. 9981153574, 7974514882

कविता सुनने के लिए टच करें।


बघेली क‍विता - दादू खड़े चुनाव मा

बघेली क‍विता दादू खड़े चुनाव मा       कर्मठ और जुझारु नेता,             बिकन रहे हें दारु नेता। एक बोतल सीसी बहुँकामैं,            बोट खरीदै...